हाल ही में हुयी दो उग्र नौजवानों की फांसी को अगर हम राजनैतिक सीमाओं से ऊपर उठ कर देखें और सिर्फ एक इंसान बनकर सोचें तो शायद हम उन के मन की आवाज को सुन पायेंगे- "हम भी आराम उठा सकते थे घर पर रह कर हम को भी तो पाला था मां बाप ने दुःख सुख सह कर"
बाकी युवकों की तरह वो भी मस्ती-ऐश की जिन्दगी जी सकते थे, लेकिन उन्होंने अपनी भरी जवानी में अपनी जान की कुर्बानी जानबूझ कर दे दी .
लेकिन हम राजनैतिक सीमाओं से ऊपर उठ नहीं सकते, क्यूंकि हम बात करते हैं 'राष्ट्र' की . राष्ट्र क्या है ? पृथ्वी पे रहने वाले लोगों पे राज करने के लिए उस पर लकीरें खींच दी गयी , छोटे छोटे हिस्सों में बाँट दिया गया.. और उसमें से एक हिस्सा हमारा राष्ट्र है.
'हमारा'... अगर हमारे नौजवान आज़ादी पाने के लिए उग्र रास्ता अपनाते हैं तो वो क्रान्तिकारी हैं , और अगर 'दुसरे' नौजवान आजादी पाने के लिए उग्र रास्ता अपनाते हैं तो वो आतंकवादी है. इसी सोच को कहते हैं राष्ट्रवाद. और अगर हम इस राष्ट्रवादी राजनैतिक सोच के ऊपर उठ कर कुछ बात करें तो हम देशद्रोही हैं.
first of all,I don't think that "krantikari" word exists in current context. Each and every thing can be got either by peace or by war. But the point is what you want to get. If Pak wanna get Kashmir and if you say that terrorists are krantikaris then my dear bro I simply don't agree with you.
No doubt, then we have a simple solution of this big problem. Let all the leaders of Hurriyat Conference stand in a queue and shoot all of them.Problem will be resolved in 5 minutes only. If any Kashmiri asks about to live according to his freedom, shoot him also. That's what we have learnt from our history..kill them. How dare Prashant Bhushan to say 'there should be U.N.plebiscite in Kashmir'. We cant do plebiscite, we cant ask people what they want. They will have to live according to us only.
Is constitution written by god? Agar hum vahaa pe U.N. se nishpaksh chunaav(plebiscite) karwaane mein darte hain to kaahe ko loktantra ka raag alaapte rahte hain? Sidha sa kah dena chahiye hum kali chamdi waale angrez hain, unse bhi bade taanashah hain. aur Prashant jaise log agar nyaay ki baat bhi kar dein to unko unke office mein ghus ke peetenge.
हाल ही में हुयी दो उग्र नौजवानों की फांसी को अगर हम राजनैतिक सीमाओं से ऊपर उठ कर देखें और सिर्फ एक इंसान बनकर सोचें तो शायद हम उन के मन की आवाज को सुन पायेंगे-
ReplyDelete"हम भी आराम उठा सकते थे घर पर रह कर
हम को भी तो पाला था मां बाप ने दुःख सुख सह कर"
बाकी युवकों की तरह वो भी मस्ती-ऐश की जिन्दगी जी सकते थे, लेकिन उन्होंने अपनी भरी जवानी में अपनी जान की कुर्बानी जानबूझ कर दे दी .
लेकिन हम राजनैतिक सीमाओं से ऊपर उठ नहीं सकते, क्यूंकि हम बात करते हैं 'राष्ट्र' की . राष्ट्र क्या है ? पृथ्वी पे रहने वाले लोगों पे राज करने के लिए उस पर लकीरें खींच दी गयी , छोटे छोटे हिस्सों में बाँट दिया गया.. और उसमें से एक हिस्सा हमारा राष्ट्र है.
'हमारा'... अगर हमारे नौजवान आज़ादी पाने के लिए उग्र रास्ता अपनाते हैं तो वो क्रान्तिकारी हैं , और अगर 'दुसरे' नौजवान आजादी पाने के लिए उग्र रास्ता अपनाते हैं तो वो आतंकवादी है. इसी सोच को कहते हैं राष्ट्रवाद.
और अगर हम इस राष्ट्रवादी राजनैतिक सोच के ऊपर उठ कर कुछ बात करें तो हम देशद्रोही हैं.
first of all,I don't think that "krantikari" word exists in current context. Each and every thing can be got either by peace or by war. But the point is what you want to get. If Pak wanna get Kashmir and if you say that terrorists are krantikaris then my dear bro I simply don't agree with you.
ReplyDeleteNo doubt, then we have a simple solution of this big problem.
ReplyDeleteLet all the leaders of Hurriyat Conference stand in a queue and shoot all of them.Problem will be resolved in 5 minutes only.
If any Kashmiri asks about to live according to his freedom, shoot him also. That's what we have learnt from our history..kill them.
How dare Prashant Bhushan to say 'there should be U.N.plebiscite in Kashmir'.
We cant do plebiscite, we cant ask people what they want.
They will have to live according to us only.
yes...They don't have to live acc. to the constitution of india
ReplyDeleteIs constitution written by god?
ReplyDeleteAgar hum vahaa pe U.N. se nishpaksh chunaav(plebiscite) karwaane mein darte hain to kaahe ko loktantra ka raag alaapte rahte hain?
Sidha sa kah dena chahiye hum kali chamdi waale angrez hain, unse bhi bade taanashah hain.
aur Prashant jaise log agar nyaay ki baat bhi kar dein to unko unke office mein ghus ke peetenge.