हम कितने संवेदनहीन हो गए हैं .. हमें इस बात से तकलीफ नहीं है ही १६ लोग मारे गए.. बल्कि इस बात से ज्यादा तकलीफ हो रही है कि हमारे लीडर्स को जेड-प्लस सुरक्षा मिलती है, हम ऐसे कौनसे से जहर से भरे हैं कि हम सिर्फ राजनीति की बहस में ही अपनी भावनाएं रखते हैं ? अगर किसी लड़की के साथ अपराध हो..तो हम नेताओं को गाली देंगे.. अगर कोई आतंकवादी हमें मारे तो हम..तो हम नेताओं को गाली देंगे.. अगर हम किसी आतंकवादी को मारें तो हम..तो हम नेताओं को गाली देंगे..
जिस परिवार के खिलाफ हम जहर उगलते रहते हैं उस परिवार के २ सदस्यों ने..२ बेहतरीन प्रधानमंत्रियों ने इसी आतंकवाद की आग में अपने प्राणों की आहुति दी है.
और जिस देश से हम 'शांति न रखने की' अपील कर रहे हैं उस देश की जनता ने ५००० सालों तक अलग अलग आक्रमण देखे हैं , दुनिया का ऐसा और कोई देश नहीं है जहां पर इतने सालों से इतने सारे हमले हुए फिर भी वहां कि जिंदगी ख़त्म न हुयी.
ये बात पुरे विश्व को परेशान किये हुए है कि भारत के लोगों की जिंदगी इस तारतम्यता के साथ कैसे चलती है, यही बात आतंकवादियों को भी परेशान करती है कि भारत में इतनी राजकता कैसे है? इकबाल की पंक्तियों.. 'कुछ बात है हम में कि हस्ती मिटती नहीं हमारी' में… 'कुछ बात' का मतलब 'जिंदगी के लिए झूझने की ललक' है. जो लोग इन वारदातों की अगली ही सुबह काम पर निकल जाते हैं ये उनकी मज़बूरी नहीं उनकी आदत है और इसी आदत में भारत का शौर्य निहित है.
हम कितने संवेदनहीन हो गए हैं .. हमें इस बात से तकलीफ नहीं है ही १६ लोग मारे गए..
ReplyDeleteबल्कि इस बात से ज्यादा तकलीफ हो रही है कि हमारे लीडर्स को जेड-प्लस सुरक्षा मिलती है, हम ऐसे कौनसे से जहर से भरे हैं कि हम सिर्फ राजनीति की बहस में ही अपनी भावनाएं रखते हैं ?
अगर किसी लड़की के साथ अपराध हो..तो हम नेताओं को गाली देंगे..
अगर कोई आतंकवादी हमें मारे तो हम..तो हम नेताओं को गाली देंगे..
अगर हम किसी आतंकवादी को मारें तो हम..तो हम नेताओं को गाली देंगे..
जिस परिवार के खिलाफ हम जहर उगलते रहते हैं उस परिवार के २ सदस्यों ने..२ बेहतरीन प्रधानमंत्रियों ने इसी आतंकवाद की आग में अपने प्राणों की आहुति दी है.
और जिस देश से हम 'शांति न रखने की' अपील कर रहे हैं उस देश की जनता ने ५००० सालों तक अलग अलग आक्रमण देखे हैं , दुनिया का ऐसा और कोई देश नहीं है जहां पर इतने सालों से इतने सारे हमले हुए फिर भी वहां कि जिंदगी ख़त्म न हुयी.
ये बात पुरे विश्व को परेशान किये हुए है कि भारत के लोगों की जिंदगी इस तारतम्यता के साथ कैसे चलती है, यही बात आतंकवादियों को भी परेशान करती है कि भारत में इतनी राजकता कैसे है?
इकबाल की पंक्तियों.. 'कुछ बात है हम में कि हस्ती मिटती नहीं हमारी' में… 'कुछ बात' का मतलब 'जिंदगी के लिए झूझने की ललक' है.
जो लोग इन वारदातों की अगली ही सुबह काम पर निकल जाते हैं ये उनकी मज़बूरी नहीं उनकी आदत है और इसी आदत में भारत का शौर्य निहित है.